Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - अनजान सफर

अनजान सफर


है राह अनजान,

सफर भी ये अनजाना है,

कुछ खट्टा, कुछ मीठा,

इस जिंदगी का ताना बाना है,


चले थे अकेले,

तुम मिले तो लगा था,

एक से भले दो हो गए,

पर नही था पता, क्यों

तुम बीच रास्ते में बदल गए ,


निकले हैं अब

इस अनजान सफर पर,

मुड़कर कभी ना लौट पाएंगे,

जहां छूटा था साथ हमारा,

वहां से आगे निकल जायेंगे


माना कि सफर अनजान है,

मगर मंजिल पर पहुंचने के बाद,

सब पहचान जाएंगे,

अंतिम छोर पर जिंदगी की,

हम खूबसूरत लम्हें याद कर पाएंगे।।



प्रियंका वर्मा
26/7/22

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11 Comments

Saba Rahman

26-Jul-2022 11:45 PM

Nice

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Khan

26-Jul-2022 10:56 PM

Osm

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Aniya Rahman

26-Jul-2022 10:45 PM

Nyc

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